(डॉक्टर शुजाअत अली क़ादरी)
संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ने फिर झूठ का सहारा लिया, तुर्की के राष्ट्रपति रजब तैयब इर्दोगान ने कश्मीर पर राग अलापा और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने तो इंतहा ही कर दी जब उन्होंने कहाकि चीन ने कभी किसी देश पर हमला नहीं किया है।
इमरान ख़ान संयुक्त राष्ट्र सभा की आम सभा के रिकॉर्डेड भाषण के बाद ही विवादों में आ गए। भारत की युवा प्रतिनिधि स्नेहा दुबे ने इमरान ख़ान को जो जवाब दिया, वह तो लाजवाब करने के लिए काफ़ी था लेकिन विडम्बना देखिए कि इमरान ख़ान के झूठ पर उनके ही देश में उनके ख़िलाफ़ लोग मुखर हो उठे।
इमरान ख़ान ने कहा था कि अफ़ग़ानी ‘मुजाहिदीन’ को तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन ने अपने आवास पर अमेरिका बुलवाया और इन्हें (‘मुजाहिदीन’ को) ‘हीरो’ का दर्जा दिया गया। इमरान ख़ान के शब्दों में “एक समाचार के मुताबिक़ उन्होंने (रीगन) ने उन (मुजाहिदीन) की अमेरिका के संस्थापकों से तुलना की। वह हीरो थे।”
पाकिस्तान की पत्रकार गार्दिया फ़ारूक़ी ने जवाब में लिखा कि संयुक्त राष्ट्र आम सभा में हमारे लिए यह क्षोभ की घड़ी है। रीगन ने कभी भी मुजाहिदीन की अमेरिका के संस्थापक राष्ट्रपिता से कभी तुलना नहीं की। फ़ारूक़ी ने कहाकि इमरान ख़ान ने फेक न्यूज़ का सहारा लिया है और उन्हें अपनी कॉपी लिखने वाले को नौकरी से निकाल देना चाहिए। मरियम नवाज़ शरीफ़ ने गार्दिया की इसी बात को रिट्वीट करते हुए लिखा कि इमरान ख़ान को ही निकाल देना चाहिए। वह बुरे चुनाव हैं। पाकिस्तानी पत्रकार नायला इनायत ने कहाकि रोनाल्ड रीगन और अफ़ग़ानी मुजाहिदीन पर इमरान ख़ान 2019 में भी झूठ बोल चुके हैं।
अफ़ग़ानिस्तान के पूर्व राजदूत और शिक्षाविद मेहमूद सैकल ने तो इमरान ख़ान के बयान को रद्द किया और लिखा “संयुक्त राष्ट्र में इमरान ख़ान के बयान को सुना। वह अफगानिस्तान में पाकिस्तान की छद्म आक्रामकता पर विश्व की स्थिति के बारे में असहज है। उनका बचाव खराब है और उनके अधिकांश तथ्य गलत हैं। प्रशंसनीय इनकार के दिन खत्म हो गए हैं। पाकिस्तान का एक्सपोजर जारी रहेगा।”
कश्मीर की बात उठाए बिना पाकिस्तान कहाँ मानेगा? मगर इमरान ख़ान के झूठ को भारतीय राजनयिक स्नेहा दुबे ने बे असर कर दिया। उन्होंने कहाकि इमरान ख़ान ने मान लिया है कि पाकिस्तान आतंकवादी कारनामों का बचाव करता है, जिसे स्वीकार नहीं किया जाएगा। “ये है वो देश जो खुद को अग्निशामक का भेष बदलकर आग लगाने वाला है।” स्नेहा के शब्द थे। अपने आपको जनरल कमर बाजवा का ‘निजी सलाहकार’ बताने वाले @TheZaiduLeaks ने लिखा कि चूँकि स्नेहा दुबे ने अंग्रेज़ी बोली है इसलिए हम उनके सभी आरोपों से इनकार करते हैं।
यह बताना ज़रूरी है कि भारतीय प्रधामंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने संभाषण में संयुक्त राष्ट्र की ज़िम्मेदारी, कोरोना और वैश्विक ख़तरों पर बात की। आतंकवाद पर चिन्ता जताई और अफ़ग़ानिस्तान की धरती के आतंकवाद के लिए इस्तेमाल नहीं होने की आशा व्यक्त की। उन्होंने पाकिस्तान का नाम भी नहीं लिया क्योंकि पाकिस्तान के दक्षिण एशिया की भूराजनीतिक व्यवस्था में लगातार क्षीण होने का ही यह परिचायक है।
इर्दोगान ने जब अपने भाषण में कश्मीर पर बात रखा तो लगा कि वह पाकिस्तान का एजेंडा आगे बढ़ा रहे हैं। इर्दोगान ने अपने ही देश में कैद सबसे अधिक पत्रकारों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की परवाह नहीं करते हुए जब कश्मीर की स्थिति पर सवाल उठाया तो लाज़मी है कि वह कश्मीर में पाकिस्तान की तरफ से हो रही लगातार घुसपैठ और आतंकवाद को जायज़ ठहरा रहे थे। इसका फ़ौरन ही सबूत मिल गया जब भारत में पाकिस्तान का एक आतंकवादी हाल ही में जिंदा पकड़ लिया गया जब वह तारबंदी पार कर नियंत्रण रेखा से भारत में घुस रहा था। बाद में भारतीय सेना ने उसका वीडियो जारी कर यह भी बता दिया कि उसे लश्करे तैयबा और पाकिस्तानी सेना ने ट्रेनिंग देकर भारत में आतंकवाद फैलाने के लिए भेजा था। इस तरह की घटनाओं और आतंकवादियों के खुलेआम मंसूबों पर तुर्की को क्या पाकिस्तान का कश्मीर पर पक्ष जायज़ लग सकता है?
जब इर्दौगान बोल चुके तो भारत के विदेश मंत्रालय ने फौरन ही अपना पक्ष रखते हुए कहाकि इर्दोगान को इतिहास का ज्ञान नहीं है। भारतीय विदेश मंत्रालय ने चेतावनी भी दी कि इससे दोनों देशों के संबंधों पर गहरा प्रभाव पड़ेगा।
शी जिनपिंग ने भारत, अफ़ग़ानिस्तान या किसी भी भौगोलिक सीमा का उल्लेख तो नहीं किया लेकिन उन्होंने यह कहकर पूरी दुनिया को ज़रूर हँसने का मौक़ा दिया जब उन्होंने कहा “चीन ने कभी भी आक्रमण नहीं किया है या दूसरों को धमकाया नहीं है, या आधिपत्य की तलाश नहीं की है। चीन हमेशा विश्व शांति का निर्माता, वैश्विक विकास में योगदानकर्ता, अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था का रक्षक और सार्वजनिक वस्तुओं का प्रदाता रहा है।” कितनी सफाई से शी जिनपिंग झूठ बोल गए। वह भूल गए या झूठ बोल रहे थे जब दुनिया के नक़्शे से चीन ने दो देश ईस्ट तुर्किस्तान और तिब्बत को ही मिटा दिया। धमकाने के मामले में चीन ईस्ट तुर्किस्तान का दोषी है जहाँ के लाखों लोग सुधार गृह के नाम पर खुली जेलों में जीवन बिता रहे हैं। आज ताईवान और हॉन्गकॉन्ग चीन के विस्तारवाद से तंग है।
भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जब दुनिया के समुद्रों को साझा बताया तो उनका इशारा यही था कि ताइवान, हॉन्गकॉन्ग, वियतनाम और जापान को चीन डरा रहा है। मोदी की आशंका बिल्कुल सच साबित होती दिखी जब शी जिनपिंग ने संयुक्त राष्ट्र में 21 सितम्बर को भाषण दिया और 29 सितम्बर को उत्तर कोरिया ने जापान के जलक्षेत्र में एक मिसाइल का परीक्षण किया। सब जानते हैं कि उत्तर कोरिया को चीन की शह हासिल है।
उनके भाषण में एक जगह शी जिनपिंग ने चीन को “अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था के रक्षक” बताया जबकि सब जानते हैं कि चीन का भारत समेत हर पड़ोसी के साथ सीमा विवाद है। अपने घरेलू मसलों में जनता का ध्यान भटकाने के लिए चीन हर पड़ोसी देश के साथ यह हरकत करता है और बहुत ही विश्वास के साथ संयुक्त राष्ट्र महासभा में झूठ भी बोल लेता है। जब शी जिनपिंग यह भाषण दे रहे थे इसके ठीक 20 दिन पहले चीनी सेना ने भारत के उत्तराखंड से लगती सीमा का उल्लंघन किया। चीन कोरोना के बाद से आर्थिक दबाव और बेरोज़गारी की समस्या से जूझ रहा है। वहाँ बिजली का भी भारी अकाल हो गया है जिससे औद्योगिक उत्पादन पर भी बहुत बुरा असर पड़ा है। आम चीनी जनता को अन्तरराष्ट्रीय सीमा विवाद की सुर्खियों से ख़ुश करने और संयुक्त राष्ट्र सभा में झूठ बोलने से चीन की साख दुनिया के सामने और कम हुई है।
(लेखक मुस्लिम स्टूडेंट्स ऑर्गेनाइजेशन ऑफ इंडिया के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं)