मदीना तैयबा में सिनेमा खोलने पर रज़ा एकेडमी करेगी सऊदी सरकार के खिलाफ प्रदर्शन

दिलशाद नूर

मुंबई: सऊदी हुकूमत की और से मदीना शरीफ में खोले जा रहे 10 सिनेमा घरों के मुद्दे पर शनिवार को अलहाज मुहम्मद सईद नूरी के नेतृत्व में एक बैठक रज़ा एकेडमी कार्यालय में हुई। इस दौरान निर्णय लिया गया कि सऊदी हूकूमत को हरमेन शरीफेन के तकद्दूस को पामाल करने की इजाजत नहीं देंगे।

अल्हाज मुहम्मद सईद नूरी साहब ने कहा कि दुनिया भर के मुसलमानो की अक़ीदत मक्का और मदीना शरीफ से जुड़ी हुई है। सऊदी हुकूमत 200 करोड़ मुसलमानों के जज़्बात को महसूस करे और मुक़द्दस मकामात को नापाक व नाजायज अफआल से महफ्फुज रखे। उन्होने कहा कि खादिम उल हरमेन का मतलब हाकिम उल हरमेन नहीं होता है। सऊदी हुकूमत को मकामात मुकद्दसा की खिदमत करने का शर्फ हासिल है, अल्लाह और उसके रसूल के अहकामात की खिलाफ वर्जी करने का नहीं। अगर सऊदी हुकूमत अपने आका यहूद-नसारा और इस्राइल-अमेरिका को खुश करने के लिए मुक़द्दस मकामात का तमाशा बनाएगी तो दुनिया का मुसलमान उसे हरगिज बर्दाश्त नही करेगा।

उन्होने आगे कहा कि इस्लाम में कुरान व हदीस ने उम्मत ए मुस्लिमा को बचाने का फरमान जारी किया है। वह गाना बजाना, तमाशा, कमरबाजी, शहवतपरस्ती, अफआल, कबीहा को सऊदी सरकार बढ़ावा दे रही है। जिसे हरगिज बर्दाश्त नही किया जाएगा। उन्होने कहा कि जिस 23 सितंबर को आले सऊद ने हरमेन तयबेन पर नाजायज कब्जा किया था। उस ही दिन रज़ा एकेडमी सऊदी हुकूमत के खिलाफ सख्त एहतजाज करेगी।

इस दौरान बुजुर्ग आलिम ए दीन मौलाना महमूद आलम राशिदी ने मुस्लिम उम्मत को पैगाम देते हुए कहा कि सऊदी हुकूमत और उसका नौजवाज़ शहजादा दिन ब दिन ऐसे अफआल को बढ़ावा दे रहा है। जो कुरान ओ हदीस अल्लाह उसके रसूल के अहकामात के सख्त खिलाफ है। ऐश परस्ती के नशे में नजदी हुकुमत के फैसले इस्लाम के खिलाफ है। जिसे मुसलमान ही नहीं बल्कि दूसरा मजहब भी बर्दाश्त नहीं कर सकता। उन्होने कहा कि नजदी हुकूमत मुसलमानो के लिए कलंक बनती जा रही है। उसके किरदार से अंदाजा लगाया जा सकता है कि ये सिर्फ शआर इस्लाम मिटाने के लिए सऊदी पर कब्जा करके बैठे है। दुनिया के मुसलमानों को चाहिए कि उनकी उन नाजायज हरकतों पर सख्त नोटिस ले।

वहीं मौलाना तौकीर रज़ा अल्लाहबाद ने कहा कि आले सऊद की नापाक हरकतों से जाहीर है कि उन्हे अल्लाह और उसके रसूल के फरमान का जर्रा बराबर भी खौफ नहीं है। उनको तो वहीं करना है जो इस्लाम मुखालिफ ताकते इस्लाम को बदनाम करने के बारे में हुक्म देती है। और वह अपनी कुर्सी बचाने के लिए ऐसा करते भी है। इसके लिए इस्लाम की रुसवाई हो। अल्लाह और उसके रसूल के अहकामात की खिलाफ वर्जी हो या मुसलमानों की बदनामी हो या मुस्लिम मुआशरा तबाह हो। उन सारी बातों से उनका कोई सरोकार नहीं है। बस उनकी हुकूमत को कोई खतरा न हो और वह ऐश व इशरत में डूबे रहे।

इस बैठक में मौलान अब्बास रजवी, जनाब अमन मियां, जनाब अल्हाज इमरान दादानी, जनाब नाज़िम खान, हाफ़िज़ जुनेद आलम रशीदी गोंडी, हाफ़िज़ सेफान गोंडी, जनाब शेर आली गोंडी, जनाब हाफ़िज़ शाकीब रज़ा और दीगर उलेमा मौजूद रहे।

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