रामपुर नवाब की 2650 करोड़ रुपये की संपत्ति का बंटवारा शरिया के तहत होगा

बरेली : रामपुर के तत्कालीन नवाब की 2650 करोड़ की संपत्ति के बंटवारे को लेकर अदालती लड़ाई, का अंत हो गया है। यह तय किया गया है कि शरिया नियमों के आधार पर संपत्ति का बंटवारा किया जाएगा।

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, 1972 में शुरू हुए मामले में दलीलें सुनने के बाद, रामपुर जिला न्यायाधीश की अदालत ने ‘विभाजन योजना’ पर फैसला दिया है।

रामपुर का इतिहास और कानूनी लड़ाई

रज़ा अली खान 1930 से 1966 तक रामपुर रियासत के नवाब थे। उन्होंने 1949 में रामपुर को भारतीय संघ में शामिल होने दिया था। बाद में, तत्कालीन रियासत को उत्तर प्रदेश में मिला दिया गया था।

उनकी मृत्यु के बाद, नवाब के सबसे बड़े बेटे मुर्तजा अली खान को एकमात्र उत्तराधिकारी के रूप में मान्यता दी गई थी। हालांकि, मुर्तजा के नाखुश भाई-बहनों ने 1972 में अदालतों का दरवाजा खटखटाया था। तब से कानूनी लड़ाई जारी है।

रामपुर के नवाब की संपत्ति

नवाब की संपत्ति में जटिल डिजाइन, रत्न जड़ित तलवारें और दस्तकारी चाकू शामिल हैं जो खासबाग पैलेस में स्थित एक शस्त्रागार में पाए गए थे। इसमें अमेरिका और यूरोप से आयातित विंटेज कारें भी शामिल हैं।

उनकी अचल संपत्तियों में 200 एकड़ का बेनजीर बाग महल, सरहरी कुंडा महल, शाहबाद बाग महल और एक निजी रेलवे स्टेशन शामिल हैं।

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